मां थूं म्हनै उण दिन क्यूं कोनी जिण्यौ

जिण दिन सेर री मां उणनै जण्यौ

थूं तौ जाणै है मां

बडोड़ौ भाई सगळै दिन लाइब्रेरी में इखबार पढतौ रैवै

बिचलौ जावै परौ टाइप सीखण नै

चौथोड़ौ अब आवण में है

अर लारै रह्यौ म्हैं

म्हनै रोजीनां सेर कनै जावणौ पड़ै

मां! वौ सेर म्हनै खावै कोनी

म्हारै सामीं दोस्ती रौ पंजौ करै

देखै है मां—

म्हारै मौरां माथै पड़्या घाव

अर घावां सूं बैवतौ लोई

सै उण सेर री मितराई रौ फळ है

थूं नीं समझैली मां—

सेर बस कोरौ सेर व्है—

भलांई वौ धोती अचकन पैर’र मंच सूं भासण करै

भलां मूंडै में पाइप चास’र

किणीं दफ़्तर में कोई लैटर लिखवाती व्है

भलां किणीं क्लासरूम में

जिनगानी रौ कोई इजम समझातौ व्है

सेर बस कोरौ सेर व्है

जिकौ हर बगत अेक जंगळ सोधण में लाग्योड़ौ रैवै

जिण में वौ नैना-नैना खिरगोस पाळै

अर पछै वांरौ भख लेवण री ठौड़

वांरै सामीं दोसती रौ पंजौ करै

अर वांरा मौर झरूंट लैवै

मां, म्है चावूं

के सेर म्हनै खा जावै

बड़ोड़ौ भाई सोरौ सोरौ इखबार पढतां पढ़तां बुद्धिजीवी बण जाए

बीचलौ टाइप सीख’र नौकरी सोधण नै निसर जाए

अर चौथौ जद आवै

तौ उणनै सेर कनै नीं जावणौ पड़ै

पण मां म्हैं कांईं करूं

सेर म्हनै खावैई कोनी

म्हारै सामीं दोसती रौ पंजौ करै

थूं म्हनै उण दिन क्यूं कोनी जिण्यौ मां

जिण दिन सेर री मां उणनै जिण्यौ

स्रोत
  • पोथी : परंपरा ,
  • सिरजक : अमितोज ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थांनी सोध संस्थान चौपासणी
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