सबसूं न्यारी ई धरती पर
कितरा कवि हुया अणजाण।
कवियां नै जद याद करां तो
अंजस जोग मिलै परमाण॥
गीतां रौ अभियान चलायौ, कूँचा मंजलां गायौ गान।
ओ कवियाँ रो राजस्थान॥
रुकमणीहरण बीठलदासरी
बांकीदास री बातां प्यारी।
कुम्भाराम जी आरज वाळी
रीत री प्रीत कुण जाणी॥
नुंवी नुंवी कवितावां मांही, रंग रंगीलो राजस्थान।
ओ कवियां रो राजस्थान॥
पृथ्वीराज रो कवि दरबारी
रासो लिख्यो चन्दरबरदाई।
वीर सतसई मैं वीरा नै
याद करयो जद सूरजमलजी॥
ई धरती रो रुतबो ऊँचो, कण-कण इण रौ करै बखाण।
ओ कवियाँ रो राजस्थान॥
केसरीसिंह री रूठी राणी
बात असी कुण सूँ अणजाणी।
वीर विनोद री बातां प्यारी
श्याममल दास री हँसी निराली॥
घणमोला कवियां री कृतियाँ, साहित रौ है मान सम्मान।
ओ कवियाँ रो राजस्थान॥