पूरौ तोपखांनौ
अेक हाथ में लियां
प्राथनावां सूं गूंजतै
काळै अकास रै नीचै
म्हैं ऊभौ हूं
अेक कोरी भींत माथै
लोग लिख दियौ—
‘बिखौ’
कोई आखर अधूरौ नीं हौ।
वांनै म्हारी आंख्या माथै नीं रह्यौ बिसवास
म्हारी दीठ माथै भरोसौ छोड़्र
वै म्हनै भेज दियौ अेक घर में।
अेक घर में जठै दांत सिड़ रह्या हा,
जिकौ चारूं मेर पाणी सूं घिर्योड़ौ हौ
पण जिणरौ धुंआंकस चिड़ियां सूं भर्योड़ौ हौ
अेक जूनौ टूटतौ धुंआंकस
जिकौ चिड़ियां सूं जीवतौ हौ।
उणरी अेक भींत सफ़ेद ही
पछै उठै अेक नाव भी आयगी
घर घर जावण सारू।
वै म्हनै घरै भेज दियौ
अेक हाथ में
अवाज़ां भर्योड़ौ थेलौ
अर दूजै में
पूरौ तोपखांनौ देय'र।