आई हो ला

राज री मदद

अपघट रै बाद

आज री दांईं

काळीबंगां में

लाध्यो हो ला

सूनो थेड़

अणबोल्यो टसकतो

भीतर खातै

पण कुण सुणतो

सुणतो कुण

भीतरली बात

बस लांघता रैया थेड़

बापड़ा दिन रात

काळ नै टरकांवता

पान्ना कुण पळटतो

पंचागं रा

दीमक री भूख

कीं दिन इं मिटी।

स्रोत
  • पोथी : आंख भर चितराम ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित ‘काग ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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