जीवणगत तगादै रै कादै में रुळतौ

इण काची उमर में

वौ स्याणौ व्हैगौ

ऊजड़ ढाणी में अधगाळौ

उरभाणौ फिरै

कदै रा गयोड़ा है बापू अर मां

पाछा बावड़िया नीं अजै

आंख्यां सामीं पसरियोड़ी रेत

निजरां मांय पसरगी

अणथाग

लगो-लग चौथै बरस पड़ियौ काळ

काळ सूं अबखौ

विगसतौ रैयौ

काळ राहत रौ काम

काळ अर राहत बीचली खाड में

उतरता रैया आदमी

घर खाली पर सूना गांव

कुरळावै काग कांव-कांव

अर वो

अेकलपणै री मनगत सू दबियोड़ो

धूड़ उडावतो

अफसरां री मोटरां लारै भागै-

'कठै है मां, कठै है बापू'

किड़किड़िया भरतौ वौ

धोबी भर धूड़ उछाळ दै

धूड़ उडावती मोटरां माथै।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच पत्रिका ,
  • सिरजक : चंद्रशेखर अरोड़ा ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा
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