रूप-रंग जोड़ायत पंछी, अेक सरीसा साथै जामै।
अेक ठौड़ रैवास उणां रो, रैय भेळ में आमै-सामै।
अेक डाळ रै उपरां बैठ्या
सोनल पंछी दोय सांकड़ै।
माया रै बळ जीव खतावै।
लाभ-हाण री बही आंकड़ै।
लेख लिखारा लिखै लगोलग, कलम आपरी कद-के थामै?
रूप-रंग जोड़ायत पंछी, अेक सरीसा साथै जामै।
अेक करै नित किसब कमाई
बीजो द्रष्टा बण’र देखै।
जीव आपरै समझ न पावै
काम करै कद सांई लेखै?
करै हैंकड़ी गरब गळै कद? फिरै हांडतो घर-घर गामै।
रूप-रंग जोड़ायत पंछी, अेक सरीसा साथै जामै।
साथै रेय’र साथै जामै
अलख लखै, नर दर नीं जाणै।
भाव भवींजै भटकै भरमै
जीव अळाखू नांय पिछाणै।
घूम-चकारी रैय घूमता, धणी बिराजै घट सगळां में।
रूप-रंग जोड़ायत पंछी, अेक सरीसा साथै जामै।
गुरु दीपक घट धरै हथेळी
बोध-विवेकी ग्यान उजाळै।
माया रा बंधन अळगाय’र
निज हिरदै रा भाव पखाळै।
दिव्य आतमा परतख जोवै, सदै आपरै सांप्रत सामै।
रूप-रंग जोड़ायत पंछी, अेक सरीसा साथै जामै।