म्हैं काळौ
म्हैं कांणौ
म्हैं कोझौ
थांनै हंसता देखूं तो लखावै
हाल मर्यौ कोनी
सेरसाह
म्हैं माटी हौ कदै'ई
इण गत सूं पैली
जाणता हुवोला थै ई
रचना पड़रूप हुवै सिरजणियै रौ
म्हारी कांणाई
म्हारी कोझाई
उणियारौ है बींरौ ई!