जात्रा- 1
ओ जको मार्ग है
इण सूं ई
चालू होसी
जात्रा,
डिग्री चके
हाथा में,
बगतो जाणो है
कोसां अेकलो,
भीड़ घणी है
पण साथी कोई नीं
सागो है फगत
कागदां रै टुकड़ां रो
मुड़णो चावोला
अतीत झिड़कैलो
अर
भविस हाथ पसार्या
सामैं ऊभो व्है ज्यासी
ओ आपां पर ई है कै
आपां
आ जात्रा
करां का नी।
जात्रा- 2
ना कोई संगी
ना साथी
अेकलै नै ई
करणी पड़सी
आ जात्रा जिनगी री
कदे-कदास
चोखै री इच्छा करां
पण
कद स्सो कीं चोखो होवण द्यै
आ अणजाण जात्रा,
अबखायां सूं भर्योडो मार्ग
दुःख ऊभो है
हरेक फांटै पर,
मिलै लो मोड़ पर
मुळकतो चै’रो
स्वागत खातर।
जात्रा– 3
पसजाड़ा फोरतो रैयो
म्हूं सारी रात
सावल नी
सो सक्यो,
मोड़ै सी आंख लागी
तो
भूख मरै व्हो,
आंतड़ा बंटिजै व्हा
अर
हाड टुटै व्हा
मन माथै इंकलाब होवे हो,
दिनुगै उठ्यो
तो अेक सदी टपगी
अर
मां पूछियो
किसी जात्रा पर हो।
जात्रा - 4
किताबां में
कविता में
अर
सुपणां में।