इतरावणजोग है
म्हारी हरेक बसत,
जिकण माथै इतरावणौ
घणौ दोरौ है,
इतरावणजोग है म्हारी सूंथण,
जिकण रै लाग्योड़ी है कारी,
म्हारी मां गूंथ्यौ है रफूउण माथै,
म्हारी सूंथण री कारी
खुरदरी पण लूंठी,
टूटै कोनी मां रै हाथां रौ रफू
म्हेँ क्यूं लुकाय राखूं लोक सूं
उवा सुंथण री कारी,
म्हैं भला क्यूं नी इतरावूं उण माथै।
इतरावणजोग है औ
मैलो हुयोड़ौ म्हारौ थेलियौ,
म्हारै जीसा री दवायां
इण मांय बरसां लग रेई,
इणी'ज थैला मांय सांभ्योड़ा हा
म्हारै घर रा जोब कारड,
इणी'ज थैला मांय
म्हारै रावजी खातर
म्हैं भर पूगती करी ही
काची ग्वारफळी,
म्हारी मां जद भी जावती पीहर,
उवा भी लै जावती आ ईज थेलौ,
नी हुयौ जमीदोज अर ऊंदरां नै ई
नी खावण दियौ म्हैं
म्हारै जीसा अर भाभू रौ
उवा जूनौ थेलियौ।
इतरावणजोग है म्हारौ
औ झुंपड़,
इण मांय आ म्हारै ऊंट रौ पलांण,
आ बकरी री ऊन रौ लूंठौ तंग,
झूंपड़ री खूंटी मांय टंगै है
औ डोरां रौ गूंथ्योड़ौ गोरबंद,
झूंपड़ रै मांय है आ लोह री ओडी
जिकण मांय चार चरतौ म्हारौ ऊंट,
ओडी रै मांय है आ चड़सी
रास अर लकड़ी रौआ भाण
जिकण सूं सींचता पार रौ तळौ,
इतरावणजोग है उवा
इतरावण जोग है
आ पीतळ रौ पतीलौ
जिकण मांय दुहिजती म्हारी भूरी ऊंटणी।
इतरावणजोग है-
म्हारी झुंपड़ रौ छाज,
खींप री छाप अर
चगां री डोर सूं कस'र छजियौ,
छजियोड़ौ आ झूंपड़
लागै जाणै ऊभी हुवै
पीळी चूंदड़ी ओढ्यां
कोय लाजती नवोढ़ा।
इतरावणजोग है म्हारौ आ खेत,
ऊगावै उवा मुटकणौ बाजरौ,
बायरियौ लहरावै है ऊभोड़ी बाजरड़ी नै
जाणै कोय आयौ हुवै बाबौ
आपरी लाडकड़ी नै आसीसां देवण,
खेत रौ औ खेजड़ौ
जिकण रै डाळां माथै
हींडती ही ढ़ांणी री तीजणियां,
घणी इतरावणजोग ही
हींड री हिलोळ,
तीजणियां रै गीतां री किलोळ।
हां इतरावणजोग ही
म्हारी कोटड़ी री बा मनुहारां,
ना ना ! कोनी हौ
महलां रै जेहड़ौ छप्पन भोग,
अठै बाजरी रौ खीच अर
गुळ री राब रौ सुबड़कौ है,
इतरावणजोग ही माईतां री
मीठी मसखरियां अर
हेत सूं झरझरती बंतळ,
म्हैं कांई जाणां कै कांई हुवै है
राजभुवन अर दरबार,
म्हैं क्यूं इतरावां
इण गढ़ां-कोटां रा कुंगरां माथै,
म्हैं क्यूं इतरावां राजाजी री
सेरवाणी अर कोट माथै,
म्हैं क्यूं इतरावां छत्र-चंवर माथै,
म्हैं क्यूं इतरावां कळंगी अर
हीरां जड़ियोड़ी महाराजा री
उण मोजड़ माथै,
म्हैं क्यूं इतरावूं
महल रा राजाजी माथै,
म्हैं इतरावां हां
म्हारी रमती-चरती अेवड़ माथै।