कळपण नै किसान’र

मरण नै मजूर

हाजर है हजूर!

जै बोलणिया

पढिया-लिखियां री लंबी-लड़ाक लैण

कदैई आपरा दुसमी

अर कदैई आपरा सैण

हेलौ करौ

नै हाजर

माया रा मोबी मिनख

आपरै हुकम रा हकदार

पीवण सारू पसेवौ

नै खरचण सारू खेत

हंसण सारू हाजरिया

नै रोवण सारू रेत

अरोगौ

मन भर अरोगौ—मालक

मायतां री छोडियोड़ी जागीर,

पावौ—धोबा भर-भर पावौ मालक

आप आप री छाळियां नै

दूध-दही पावौ

नारियौ आवै तौ उणनै

वादां सूं टरकावौ

के नारां सूं नाथौ

भलांई सोटां सूं ठरकावौ

कुण रोकणियौ है आपनै

जागीर आपरी

नै आपरै बापरी

गडावौ मालक—ऊंडा गडावौ

दो-दो हाथ रा कोपरिया

नै पांच पांच हाथ रा खिल्ला,

चिणावौ-हजूर-चिणावौ

ऊंचा ऊंचा मै’ल माळिया किल्ला

चरावौ, चरावौ

चरावौ, लरड़ियां नै सूखी द्रोब

उगावौ,

पेट भर उगावौ

भूख रा पीपळ

खेलौ, बापजी खोलौ!

खंदक में

खतरनाक खेल

मैदान आप रौ है हजूर

मिनख आप रै बाप रौ है हजूर

पण गुस्ताखी माफ-मालक

मिनख व्है सकै

इतिहास नीं व्हिया करै है आलू रौ बोरौ

जिण नै

अठी सूं उठाय’र उठी कर दौ

अर जी में आयां अठी कर दौ।

भलांई व्हौ आपरै कन्नै

जुगत री जागीर

फौज, हथियार, जेळ अर जंजीर

भलांई कानून रौ खांडौ

अर भभकी री ढाल

—पण इण इतिहास री मालक

अबखी है चाल

नाक री डांडी

कदैई नीं चाल्या करै है।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच (अंक-4) ,
  • सिरजक : राजेन्दर बोहरा ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : जुगत प्रकासण, मेहता भवन, कबूतरां रौ चौक, जोधपुर
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