अडौलै ठूंठ री खोखालां
वा मूंडौ काढ़ती मौत
अर जड़ां रे मिस पांघरता
जलम बिचाळै
म्हैं इकलापी अेकळ छड़ौ
थारी मेड़ी पूगण सारू
उळांघू अलेखूं डूंगर
छीजतै जोबनिया री छेहली केळ
म्हारी मरवण।
औ रूड़ौ रूपाळौ थारी हेज
ढलता सूरज रै ऊबड़-खाबड़ मारगां
म्हनै निपट दिहावळौ कर न्हाकै
ठौड़ ठौड़ अळूझाड़ रौ भौड़ौ
म्हारी मूमळ।
म्हारौ कीकं बस नीं पूगै
आ सून्याड़ रिंदरोही
चारूंमेर रात रै धणियां री घूंघाट
कळपती कोचरियां री कुरळाट
पावंडै पावंडै जोखिम रो पांथ
नीं म्हारी सुध ठांणै
नीं म्हारी बुध ठांणै
म्हारी गजबण।
कठै ई कीं पसवाड़ौ नीं फिरै
औ काळौ-त्रोळौ अंधियारौ
पग पग छळ-छंदां री सूळां
म्हारी रग-रग बींधीजै
अै झाड़ बांटका आंधा
सूरज नै रातींदौ
तारां री आंख्यां जाळौ
किण सांम्ही आंसूड़ा ढळकाऊं
दरद म्हारै हिवड़ा रौ दरसाऊं
म्हारी कांमेतण।
म्हारै पुरबळा जळम रौ साधण
बता कठै चढ़ाऊं
थारा हेजळा आखर
आंनै देवळ उपासरा री सूग आवै
गंगा-जमना सूखी लखावै
अै पांगळा भाखर
आंरौ भार कद झेळै
बता बता म्हारो मरवण।