सूखोड़ै जीवण रै तळाव माथै

कुण मांडी है कांठळ

अर बरसण री आस,

पांख्यां सूं झूराझूर हुयोड़ी होली नै

कुण न्हांखी है सातूड़ां री चूंण,

कुण दीनी है ऊमणदूमणी बाई नै

पीहर लै जावण री खुस-खबरी।

कुण बांधी है टूट्योड़ी हांडी माथै,

लाख रै जड़ाव री लूंठी जोड़,

कुण तांणी है तपतां तावड़ियां मांय

म्हैं माथै हाथां री छांवड़ी,

कुण खोली है हरियल खेतर रै मांय

म्हारी आतम-बाछड़ी नै।

कुण दीयौ है ढ़ोळायत गाय नै

गुड़ अर संधाणौ,

कुण बांधी है बिन धणी री घोड़ी माथै

लांबा मारग पार करण री काठी।

म्हारा अबोला प्रेम,

म्हारै अंतस रा देव,

म्हारै आंख्यां मांयला पाणी,

म्हैं किण विध कथूं आखरां मांय कै

प्रेम अनाथ रौ माई-बाप अर

जीवतौ भगवान हुवै है।

स्रोत
  • पोथी : डांडी रौ उथळाव ,
  • सिरजक : तेजस मुंगेरिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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