लाख री बांधी मुठ्ठी
खोलतो हाथ
लाख री राख करतो
मे’णत री साख भरतो
ओ हाथ—
रोटी खोसीज्योड़ो
में’दी लूचीज्योड़ी
गारो पूछीज्योड़ो
छाला पड़ियोड़ी
छोलीज्योड़ो
बाइंटा आयोड़ो
ओ हाथ—
पण तो ई
चाल तो जाय
चलावतो जाय—
हल, हथोड़ा, हलवाणी
ओडी फावड़ा गेतो
भूखो नै तिरसो ई
काम झपटतो जाय
तड़पतो जाय,
इयां रा हाथ नीचे दब्योड़ा
हेटे मंडीयोड़ा
इयां रा हाथ हेटा पड़ियां
इयां रे हाथै कीं कोनी
पंडा रो पांणी ईं कोनी
पण तोई इयां रो राज कंबीजै
इयां रै ए माथा हाथ
देवण रो कयो
पण इयां रै
काळजै हाथ घाल्यां
दरीयाव में—
डूबतां मिनख रौ
बारै दीसतो—
हाथ
झापल्यां घालतो
आबां में अधर बम्ब में
अपाला खातो
जीव बचावां नै
पकडा सारू
कीं भाल तो-संभालती
आंधो हाथ
मिनख डूबग्यो
काली धार
पण
हथकड़ियां पे’रानै
ओ लारे रीयो
सेकड़ा सवालां रौ
एक इज पडुतर देवण नै
मांनवी-क्लास में ऊबौ
ओ हाथ—
सो सोनार री नै
एक लवार री करैलां
भाखर फोड’र
चाट चीर नैं
चेट चीर नैं
ऊगती थोर ज्यूं
ऊगतो हाथ
वोट देवण नै ऊबौ
वो हाथ
जिणनै हर चुनाव में
गिणती में भूलता र्या
हाथ कलम करनै
रोप रोप्योड़ो बांठकौ
लो ही री धारोलां सूं
नै पसीना री परनालां सूं
अबै छेली पांण पीतो
ओ हाथ
काल भूंगा मेलेलां
साखां फूटेलां
डाळा पालरेला
बड़लो गै’रो पसरेलां
ईं रो आगल्यां माथै
कोयलां टहूकां दैला
चिड़कल्यां गीत उधेरेलां
मानखां नै ठंडो झोलो देला।