हारी नीं है स्त्री री हूंस

फेरूं किरच-किरच

हो रैयी है सीता री उम्मीद

फेरूं ठोकरां रुळे

अहल्या रो सत

स्वारथ रै सुग्रीव री

हार रो मोल चुकावै तारा

दो-दो बार माडाणी

कब्जायी जाय।

रावण रै दंभ रो रंडापो

उखणन नै मजबूर मंदोदरी

रिश्ता अर फरज री गतागम में

भोगै साव अबोट अकलापो उर्मिला

फेरूं दांव पर गिरस्थी रै जुअै में द्रोपदी

राज रो ताज माथै मेल'र

छिटकाईज्यो राधा रो प्रेम

भाज जावै

निजू हित रै मिस सिद्धार्थ

जीवण-रण में सूती

एतबार री यशोधरा नैं तज

फेरूं पी रैयी है

ढोंगी मरजाद रो ज्हैर कृष्णा कुमारी

हुवती रैयी है अलोप

विद्रोह री मीरां

सत्ता रै सांवरियै कारणे

अबार भी बाळी जावै

भोळकड़ी रूपकंवर

फरेबी मान-स्यान री अफीम चटार

सईकां पछै

नीं बदळी भाग री रेख

जकै में मांड्या विधना

बार-बार प्रेम, त्याग, मरजाद, भावना, सम्मान

अर सत्ता रै छळगारै तंदूर में

नैना साहनी दाई

जीजणो

पण हर बार हारती स्त्री

बावड़ै आपरी भसम सूं

फिनिक्स पाखी री गत

क्यूंकै

हारी नीं है जुगां-जुगां सूं

स्त्री री हूंस।

स्रोत
  • पोथी : अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद ,
  • सिरजक : मोनिका गौड़ ,
  • प्रकाशक : विकास प्रकाशन
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