म्हनै कोई नुसखौ नीं बतायौ

तौई केई वळा

म्हैं थनै चोपड़ी

मल्हम री गळाई आपरै घावां

पण

अबै थूं अर घाव दोनूं अदीठ

म्हारै लेय-देय अेक टसकौ

कांईं म्हैं नीं पाय सकूंला

आपरी आतमा सारूं कोई आराम

कदैई?

कांईं सईका पूठै इज आवैला

अेक हरखदार झांझरकौ

भाग-जोग सूं...

कोई अेक जुमलौ तौ बोलती जावती

जिकौ आपरै आपांण सूं

थितियां बदळ देवतौ

दरद अर दवा री

दरद दवा सारूं नीं जलम

दरद रौ इलाज व्हैती दवा!

स्रोत
  • पोथी : हिरणा! मूंन साध वन चरणा ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकास देवल ,
  • प्रकाशक : कवि प्रकासण, बीकानेर
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