मन नै मारणो
आज भी नीं है सोरो
पण मारै है लोग मन नै
अर जतावै
कूड़ा हक-हकूक
आ जाणतां थकां कै
कीं नीं है उणां रो-कीं भी
फेर भी राखै है धणियाप
देखूं इसा लोगां नै तो आवै दया
पण कर भी सकै कांई
इण वास्तै
फगत अेक आंगळी सीध करूं
कै उणनै ठाह पड़ जावै
जागै मन रो चोर
कै है कोई
जको देखे है म्हनै
इण सूं बेसी और
कुण तो कांई कर सक्यो
अर कुण कर सकै
जकां रा मन मैला नीं है
बै करै पिछतावो
अर मैला-मिनख काढ़ै मारग
बतावै तरै-तरै री वजै
मन नै मारण रो उपाव
कैवत है मर्योड़ै नैं नीं मारणो
हूं भी नीं मारूं!