बारणा की बज्याई
म्हैं पछींत बणबा की
कोसीस करूं छूं।
बापणा पै मंड्या चतराम,
लीपण-पोतणा,
पंचां को जुड़ाव...
बार-बार म्हं नै लालच दे छै
कै बारणो बण जाऊं
पण पछींत बण’र
घर पै आबाळी
संदी की संदी आफत झेल जाऊं!
अतनी सगती
हमेस रखाणबो चाऊं छूं
म्हारा उघाड़ा मोरां मैं
खुली छाती मैं
अर
आठ आंगळ की
ओलाती हाळा
मजबूत माथा में।