वो कीड्यां नै
सोध र्यो हो
एक कटोरी में
बचको क कसार लियाँ
रूँखड़ा री जड़ाँ
भींत री तरेड़ाँ
जमीं रा दर-दरूल्या
भाळतो
वो जीवण रा
उतराध में।
जीवण रे पूर्वाध में
वणी नीं कीधी व्हैगा
असी सोध
आपरी प्रेमिका रै खातर
नीं कीधी व्हैगा
असी संभाल
राम जी रे रूप री।
कीड़ी में कुंजर में
रामजी रो वासो है
दुनिया एक झाँसो है
मनख तो
काल रो काँसो है
ग्यांन री या गंगा
स्यात जीवण रै
उतराध में ही
परगट्या करै है।
यो बिसवास भी
कितरो बोदो है
क रूँखड़ा रै तणां
रा सळां में
जो कसार वो
चोपड़ र्यो है
वींनै कीड़ियां ही
खावेला
अर वींनै नरक सूँ
मुगती दिलावेला।
विसवास रो
काँई कराँ
कीड़िया नै कसार
गायाँ नै रजको
माछल्याँ नै आटा री गोल्यां
कबूतरां नै मक्की
चुगावतो मनख
मौत सूँ डरै है
अणी जनम रो
प्रबन्ध करै है
पण मनख सूँ वो
छेटी भागे है
यो कस्यो मनख है
जणी नै मनख री तो
नीं अर गाय री
सौगन लागै है।