मूं खोलतां

जिण रै कंठा रौ

कागलियौ झड़ै

वै हेलौ कीकर पाड़ै?

भैरूं जी वां नै पैलां बेम्मांरी देवै

पछै रिछ्या करै

तौ वै बापड़ा वीं रौ थांन क्यूं उपाड़ै?

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकाशन, जयपुर
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