बरसां पैली व्हियौ दोन्यां रौ सनमन अर ब्याव

अबै कोनी धणीं नै धण रौ रत्ती भर चाव

ढोलियौ केवै धण नै बाईसा राखौ नेठाव

घरविद री बातां सूं भरल्यौ सै घाव।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै