नापासर: अेक झोटौ देयनै

बस थमगी

आसीस देवतौ दरखत

जिण री छींया में ऊभा जातरी

पाखती बीत्यौड़ा

दिनां रा बींटा-बगस

आगलै जस-अपजस री कोथळी

किण खनै?

म्हैं अठै-उठी जोवूं

नै फींडा नाक वाळौ अेक मूं

म्हांरी इण गत-पत नै जोवै

खंख रौ देंतराज

तावड़ै रौ ताव नीं धारै

गपळ-गपळ ग्यांन-अग्यांन रा

गुलगुला चरै

झूंपै री ओट

अेक बूढ़ौ बगत

खांगौ होय नै नाळाछोड़ करै।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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