अब इण सिंझ्या री बैंगणी रंगत में

जद कै फूलां में झर्‌योड़ी ओस सूं मैग्नोलिया भींज्या है

वां सड़कां सूं निसरणौ अर अकास में चाँद नै

चालतां देखणौ अेक जागतै सपनै ज्यूं लागैला...

पंखेरूवां री पांतां खुद री कुरळाट सूं

बधा न्हांखैला अकास, फुंआरां रौ पांणी

आपरी खराई सूं ऊँची बिखेरैला पिरथी री ऊंडी आवाज़

अर तद अकास अर धरती साव बोलाबोला रैय जावैला...

सून्याड़ रै किणीं खुणैं में अेकलौ

खुद रौ माथौ हाथां लियां बदळै बळतै भूत ज्यूं

बिचार-बिचार’र रोवतौ रैवैला थूं

कै जिनगानी कित्ती फूटरी ही अर कित्ती फिज़ूल...

स्रोत
  • पोथी : परंपरा ,
  • सिरजक : लुइस सेर्नूदा ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थांनी सोध संस्थान चौपासणी
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