थै मत ढूंढ़ौ इब फूलां नैं

स्यात मिलै थांनै वै

खायगी वां नैं झाड़क्यां

ऊगतां जावै इब तो

फगत कांटा।

माळी सारू इब

बागां रो माहतम रैयग्यो

फगत मोटी कमाई रै

लालच सारू

जकी वीं नैं मिलै

फूलां री सजावट सूं

घरां मांय लोग

सजाया करता फूल

गुलदस्तै मांय।

इब सजावै कैक्टस

ज्यां रै लागतां हाथ

हुवै पीड़ सागीड़ी।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : किशोर कुमार निर्वाण ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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