फूल नै ठा है कंई

बो कित्तौ कंवळौ है?

कंई ठा है कांटै नै

कित्तौ तीखौ है बो?

पाणी नै कै ठा क’

उणरी गांठां कुण बांधै

कुण खोलै?

किसै कांटै तुलै धरती?

कोई अवधि है काळ री?

कित्ती चौकसी बरतै

बत्तीसी रै बीच फिरती जीभ!

पींड्यां रै चबकां में

कुम सुणै दरदवती

यायावरी—पीड़ रा बोल?

आखर

जद पूरी तरै

आपरौ मँडाण पूरै

उण घड़ी-पुळ बेळा में

जिण आगै नमै बो

कवि तो नी हुवै?

अे सवाल

आंसूं

आग

पसीने री

काल—तिरबेणी री...

साख भरै

सरजणा रौ प्रयागराज

अनुत्तर जोगी सो

बीज ब्रह्माण्ड रो!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : ओंकार श्री ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास
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