हुलासी रै गांव पड्यो है
काळ इण बरस भी
काळ कोई नूवौ सबद
नीं है हुलासी रै हियै
सालूंसाल भरीजता मेळा
अर डकरीजतो काळ
इतौ ही आंतरो है
हुलासी सारूं दोन्या में
एक में वा व्हैवे है
अर दूजो उण में व्हैवे है।
हुलासी रै चैरे रा सळ
सूंघ लिया करै है
काळ नै अगाऊ
जिनावरां री ल्हासां रा
अदीठा ढेरां में
उणरी भांपण्या बांच लिया करै है
आभै में अणमंड्यो
सोग-सनेसो
उण रै ओठां माथै
तोरे स्वाद री
पपड़ी जम जाया करै है
बीत्या दिनां री याद सी।
पण डाकी काळ
जद साव मरजादा लांघ
हुलासी री हथेली माथै
चढ़वा लागे तो
वा मून तोड़
ऊभी व्है जावे
कुल्हाड़ी ले’र
उण रा निबला डील में
हाथी रो बल वापरै
उण री मिचमिची आंख्यां में
उतर जाया करै
सगळी शिरावां रो रगत
अर वा चारूंमेर भाळै
ना’र सी दकाळै।
या हुलासी सी भूख है
या ही'ज काळ सूं भिड़सी
डूंगर तोड़सी, नहरां खोदसी
रूंख उगासी
फावडै, गैंती अर
साबल रै पांण
काळ रो माथौ बाढ़सी
सून्याड़ धरती माथै
काल दिनूगै पेलां
या ही'ज हुलासी मांडसी
नुवा-अबोगद सातिया।