नी ठा

की गमग्यो

नी ठा कीं सौधण

नीं ठा कुणसै

सुख री याद सूं

खिल्योड़ी

नी ठा कुणसै

दुख री बीती

कैई घड़ी सूं

बिफर्‌योड़ी

कदै थ्यावस सागै

कदै बावळी ज्यूं

आपरै मांय

बड़ती-निसरती

कदै फैलती मैदान ज्यूं

कदै भैळी हुवती

गळी ज्यूं

आपरी ही

धुण री धणियाणी हुई

गूंज-गूंज गूंजती रै

बैवती रै नदी

दिन-रात

रात-दिन

भरती रै घाटी रो

हियो-जियो

गूंजती रै अणथक

अद्बुध संगीत-लैरी

दैवती रै सनैसो

जातरा-जातरा और जातरा

जीणै री लालसा री जात्रा

चालणौ चालणौ और चालणौ

नदी, खाली नदी ही नीं है

नदी चालणौ है

अर चालणौ ही जीवण।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत काव्यांक, अंक - 4 जुलाई 1998 ,
  • सिरजक : वासु आचार्य ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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