मूंन राखियां मिनख मरैला
धरती नेम तोड़णौ पड़सी
करणौ पड़सी न्याव छेड़लौ माटी थनै बोलणौ पड़सी।
कुण धरती रौ अंदाता है, कुण धरती रौ धारण हार?
कुण धरती रौ करता-धरता कुण धरती रै ऊपर भार?
किण रै हाथां खेत-खेत में, लीली खेती पाकै है?
किण रै पांण देस री गाडी, अधबिच आती थाकै है?
कहणौ पड़सी खरौ न खोटौ, सांचौ भेद खोलणौ पड़सी।
माटी थनै बोलणौ पड़सी!
मूंन राखियां मिनख मरैला
धरती नेम तोड़णौ पड़सी!
थूं जांणै है पीढ़ी पीढ़ी, खेत मुलक रा म्हे खड़िया।
थूं जांणै है काळ बरस में, भूख मौत सूं म्हे लड़िया।
थूं जांणै है सिंघासण में हीरा पन्ना म्हे जड़िया।
थूं जांणै है कोट कांगरा, मैल माळिया म्हे घड़िया।
म्हारी खरी कमाई कितरी, लेखो थनै जोड़णौ पड़सी
माटी थनै बोलणौ पड़सी!
मूंन राखियां मिनख मरैला
धरती नेम तोड़णौ पड़सी!
आ बात बडैरा कैता हा, धरती वीरां री थाती है,
माटी अै करसा झूठा है, यांरी तौ काची छाती है,
ठंडी माटी रा मुड़दा है, दिवळै री बुझती वाती है,
माटी रा म्हे रंगरेजा हां, ज्यां कारण धरती राती है,
जे करसा मोल चुकाता व्है, तौ धड़ नै सीस तोलणौ पड़सी,
माटी थनै बोलणौ पड़सी!
मूंन राखियां मिनख मरैला
धरती नेम तोड़णौ पड़सी!
जद मेह अंधारी रातां में, तूटोड़ी ढांणी चंवती ही,
तौ मारू रा रंगमैलां में, दारू री मैफिल जमती ही,
जद वां ऊनाळू लूआं में, करसै री काया बळती ही,
तौ छैल भंवर रै चोबारै, चौपड़ री जाजम ढळती ही,
इण भरी कचेड़ी देण गवाही, ऊभा घड़ी दौड़णौ पड़सी,
माटी थनै बोलणौ पड़सी!
मूंन राखियां मिनख मरैला
धरती नेम तोड़णौ पड़सी!