नीं बणै

नीं बणै, धरती मा

बठै

जठै री नारी

भोग अर वासना रै

चस्मै सूं देखी जावै

अर जठै रा टाबर

ममता रो पाठ

आया रै पालणै सीखै

धरती तो बठैई मा है

जठै

कोयी रामायणी सीख

ममता रो गास्यो

देती कैवे-

'जननी जन्मभूमिश्च

स्वर्गादपि गरीयसी'।

स्रोत
  • पोथी : चौथो थार सप्तक ,
  • सिरजक : भंवर कसाना ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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