साव पाधरी अर चौड़-चौड़ी सड़कां रौ नगर
जठै निजर नीं आवै
बजार रौ सूगलवाड़ौ सुभट
म्हैं दीठौ
चारूकांनी हरियल पसार
जिण रै पींदै चापळ्योड़ौ व्है
वौ सै कीं
जिण नै अपां भांडता रह्या
जिकौ दीसै रळियावणौ
म्हैं दीठौ
म्हारै कमरा री बारी रै बारै
नीं बोलै छी कोई कोयल
पण अेक कोयल रै बोलण री संभावना वाळौ
बण्योड़ौ अेक अजूबौ छौ
आथूंणी अर ग्लोबल दीठ वाळौ
आर्किटेक्ट इण नगर रौ
कांई ठाह किण दिस गियौ
उणरी अजब नवी सिरजणा रौ
खमियाजौ भुगतै छै
औ नगर
इण में पाघड़्यां दीसै
पण कठैई खांटी पंजाबीपणौ निगै नीं आवै
म्हैं तौ हरमेस भांडतौ आयौ
पण थूं रई बिरदावती
जिण उजाड़-सपाट छापर नै
कैय सुरग
वौ म्हनै कठैई निजर नीं आयौ
अव्वल तौ पिरथी माथै कोई सुरग छै ई कोनीं
जे कठैई संभव व्है ई खरी
तौ संस्क्रति अर सभ्यता रा छमका बिना
ज्यौ कीं बणैला
वौ वळै कीं व्हौ, सुरग नीं व्है सकै
पंजाबीपणौ कारां में, बंगळां में कोनीं
नीं वौ भर्यौ व्है चौड़ै मारगां वाळा
समतळ बगीचां मांयला टैलण रा सुभीता में
औ कांईं करौ बडभागियां
आं हर्या-भर्या लोनां में नित्त-प्रत दौड़ लगाय
इणसूं व्है सकै आयजा आपरी देही कीं करार अर फुरती
पण आ फुरती
आपरी सभ्यता अर संस्क्रति री कोयनीं
अण सारू पंजाबी जजबौ चाहीजै
की तौ सोचौ, भायगवानां!