वा अेक दरोपदी ही

वौ अेक दुसासण हो

अर वीं जुग में

अेक किरसण भगवांन तौ हो

जिकौ गोपियां रा चीर हरतौ

पण

दरोपदी रौ चीर लाम्बौ

कर देवतौ

ज्यूं डूंम री रागळी

डूंम जाणै

किरसण री माया कुण पिछांणै?

हाल तांई

दरोपदी आधी नागी

आधी ढ़ंकयौड़ी

दुसासण आधौ रीझ में

आधौ खीज में

अर किरसण कांई ठा कठै

बैठ्यौ मुळकै

'रोम जद धू-धू बळै हो,

नीरो बंसरी बजावै हो!'

वौ मगन मन बंसरी बजावै

नै चीर रौ

निंवेड़ नीं आवण देवै

दुसासण

म्हांरै साथै जागै

साथै हालै

रासन री दूकांन

दफतर

कचेड़ी

घणी जगां फोड़ा घालै

नै चीर नै लियां-लियां हांडै

पांडू! बिरोदी दळ रा पांच नेता

हार बैठ्या जूवौ

अबै आगलै चुणांव तांई

वां रै साम्हीं

सूकौ अंधार कूवौ!

लारलै दिनां कोरुवां री

बैठक में

निरणै लियौ गयौ

कै चीर रौ कोई अंत नीं दीसै

इण वास्तै

वीं नै सावळ संवेट्यौ ज्यावै

गज-मीटरां रै

नाप में पळेट्यौ ज्यावै

नै पछै

दुसासण री परधांनगी में

अेक अेड़ौ

डिपाटमेन्ट सरू व्है

जिण में

जुगां जूनै इण चीर सूं

फाइलां रा फीता

पाल्टी रा झंडा

हाकमां रा नाइट सूट

मनीस्टरां रा पैजामा नै

लुगायां रे लाल दिनां रा लीरका

बणाया जा सकै

वा ईज दरोपदी है

वौ दुसासण

वौ किरसण मुरारी

सगळां रौ सिरजनहार सगळां रो रुखालौ!

सरणागत देस रा जुवारी

सिर झुकायां बैठ्या राजसबा में

वौ दिन दूणौ रात चौगणौ चीर में इजाफौ करै

घाटै रो बजट

ताकड़ी रै बाटां नै भाठां सूं भरै

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण - जयपुर
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