काळजै में कांई कचरीजै?
पगां रै न्याणां
सूं न्याव री उमेद राखतौ नै
बीगड़्यौड़ा तींवण सुधावण रा
वेम पाळतौ—
औ कुण बांझड़ी भगतण रै साथै
सोय पूत रौ माथौ
देखणौ चावै?
आंख्यां रै कोइयां में कांई कुळै?
बिंदराबन में रैय राधा-गोबिन्द
सूं बैर बांधतौ नै
नागा नगारां में नड़ री आवाज साधतौ—
ओ कुण पीठ लदियौड़ा मुड़दां रा केस कतरै
अर सोचै कै
इण जुगत सूं वां रौ बोझ हळकौ
व्है जावैला?
तिरस नै तळाई रै बिच्चै
कंठां में कीं कळाप व्है?
औ कुण खुद सूं ई बादखाई राखै
रूंगतां में सूळां खुबाय
झरणां काढै
नै आपरै लोई रौ निवायौ
सुवाद चाखै?
इण री रात रौ अन्त कठै?
पाखती
लुगाई-टाबर-माईत-मिन्तर सगळा
गैरी निंदरा में खरड़ाटा भरै
अर और सून्याड़ में सुरंग खोदै
बादस्या री
घांटी मरोड़ण री तिथ सिंवरै
पिछांण सावळ पिछांण
थांरै ई सरीर में सांस लेवतौ
पण न्यारा नंदी-नाला जोवतौ
औ मिनख कुण?