सूखा-सूखा रूंखड़ा रा गीला-गीला बोल
अै हाटां में नां मिलै अर ना बाटां रै तोल
पंछी भेर बजावता परभातै री पाल
संझ्या लोरी देंवता दे-दे थपकी ताल
रितुआं रूप संवारती पूहपड़ां री माल
मेघा मोती देवता भर-भर ल्याता थाळ
मुधरो बै तो बायरो वो घणा बजातो ढ़ोल
सूखा-सूखा रूंखड़ा रा गीला-गीला बोल
किरणां मुजरा लेवती उगतड़ै परभात
संध्या साज संवारती रंगती म्हारा पात
चांदो घुर-घुर देखतो तारा कहता बात
रातड़ नेह लुटावती मोतीड़ां री जात
दिन पळट्यां रो बायरो वो भूल गयो सै कोल
सूखा-सूखा रूंखड़ा रा गीला-गीला बोल
पल-पल पाती गावती रळ मिल म्हारा गीत
डाळां झूला खावती हंस-हंस झूली प्रीत
छिण-छिण पाती झाड़ली काल चकर री रीत
डाळ हिंडोला टूटग्या रोज रेयग्यो चीत
कुण रह जावै थिर सदा आ नहीं जगत में रोल
सूखा-सूखा रूंखड़ा रा गीला-गीला बोल
ऊनाळै रै तावड़ै छाया लेती सांस
थकियो पंथी देंवतौ सदा जीण री आस
सूखो देखत सांभल्यो माथै मार मंडास
फळ पांती में देंवतो वो दे आज गंडात
फळ देबा को फळ मिल्यो ओ मिनखा मैं आ पोल
सूखा-सूखा रूंखड़ा रा गीला-गीला बोल।