म्हैं दादी नैं कैयो —
‘दादी!
थे दस-बारै उपराथळी
टाबर जामण
हाळो देख्यो
घणो दोजक’।
दादी बोली —
‘बेटा,
उपराथळी
पड़ता काळ
कदैई छपनियो काळ
कदैई अठावनियो
जांटी रा छोडा ई
धान मांय
पीस-पीस खाया
कठै हा घी-दूध
डांगर तो भूखा मरता मरग्या
जापै रै भानै सूं
थोड़ो आछो खाणनै मिलतो
औ
दोजक।