म्हारी सोनै बरगी रेत
हेत में सै सूं आगे,
सोवौ सुख-भर नींद
गद्दो मखमल-सो लागे।
म्हारो धोरां वाळो देस
पून पुरवाई चालै,
अठै पिव-पिव बोलै मोर
नाचता घूमर घालै।
म्हारा जोधा जबर जवान
बेऱ्यां नै मार भगावै,
अठै पिणहार्यां संजौर
कोसां सूं पाणी ल्यावै।
अठै हिलमिल रैवै मिनख
नेह री बिरखा बरसै,
म्हारो रंग-रूड़ो रजथान
रमण नै राम ई तरसै।