अचाणचक फूट्यो हाको
कळझळ मचगी चारूंमेर
पाना रा पाना रंगीजिया
सरदारां री कारसतानी रा।
थूं क्यूं बड़बड़ावै..?
पड़ी थारी माळा फेर
कळजुग है कळजुग!
जुग रा लेखा
भुगतणा ई पड़ है।
भुगतणा पड़या हा
भगवान नै ई
आपां कुण..?
बै लड़णै री खिमता तो
राखता हा
आपां कांई राखां?
गळी री टूट्योड़ी नाळी
बंद बत्ती ई
ठीक नीं करा सकां!
मानखै री चाम मांय
लपेटीज्योड़ा गादड़ा हां
जिकां रो काम डरणो
अर डरणो ई है।
आ चालती रैयी है इयां ई
ओ ईज तो सीख्यो है
फेरूं क्यूं मचावै हाका!
जे होवै खिमता लड़णै री
राज री आंख मांय
आंख घालणै री...
तो करीजै हाका
आईजै सड़कां पर
लगाईजै नारा!
नीं तो
बंद कमरै मांय
चार जणां मांय
मत करजै अफसोस
कै कांई होय रैयौ है
देस मांय!!