आज सतजुग है

अटळ है मिनख

जुग सत्त नै निभावण में

हर जुग रौ नित्त सत्त

भूख है

रोटी है

पेट री भट्टी में रात-दिन सिळगता

लाल अंगारा

हितचिंतक रिसी रौ

बानौ पैर्‌यां

आज ऊभौ है

छळ रौ विस्वामित्र

मिनख रौ सो क्यूं

झपट-खोसण नै

मायावी मसीनां

आज सपना बुणण में

लागी है

आज

छिप्यौ अैश्वर्य रै फूलां में

अभावां रौ काळौ नाग

डसै

पळ दर पळ

कळा रै रोहिताश्व नै

आज पड़ी है

अडाणी

प्रतिभा-सम्मान री

तारामती

बेबस-सी

किणी अरबपति सेठ री

तोंद रै तळै

बोली लागै मिनखपणै रै

हरिचंद री

बेचण

सपनां रौ काठ-कापड़ौ

आज सतजुग है

अटळ है मिनख

जुग सत्त नै निभावण में।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : रामेश्वर दयाल श्रीमाली ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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