मां, जाणै जादूगरणी है
जाण लेवै
मन री अणकथ बात।
मां नै दीखै
टाबरां रै मूंडै
अणकथ मनगत
स्यात मां जाणै
मन बांचणो
मां उतर जावै
मन माथै अर पेट में
अर जाण लेवै
मन री बात
माथै री चिंता
भीतरलो डर, अर
पेट री भूख।
मां सूं अछानी कोनी
म्हारै मन री बात
दिन-रात
भलांई रैवो अळगी
पण कियां करै
बा ई बात मां
जकी म्हैं करणी चावूं
उणी रै साथ
मां! थूं रैवै स्यात
म्हारै भीतर
दिन रात।