म्हूं कोनी जाणूं धरम रा,
पंथा रा कैई सिद्वान्त...
नीं जाणूं
अरचना अर आरती रा अरथ!
मा, नीं ठाह
थारी पैरायोड़ी
ईं कंठी मांय
कांई भाव लुकियोड़ो है!
इण रै रखरखाव सूं
कनां कांई फळ मिलसी
नीं जाणूं
थारी ई पैरायोड़ी
कंठी रा मोल-भाव!
फेरूं ई पै’र राखी हूं
गळै मांय अजै तांई
इण सारू नीं कै
म्हंनै चोखी लागै...
पैरूं इण सारूं ई
कै थारै पैरायोड़ी है!
इण माथै थारी आस्था रो टिकाव
थारै मनड़ै रो गै'रो
भाव जुड़ियोड़ो है
इण कंठी सागै...
म्हूं आ कंठी कोनी पैरियोड़ी है
पैरियोड़ी है थारै गै'रै भाव री
गै'री आस्था नै ई।