कण-कण में मण-मण भरियोड़ी, घण घण रै खण खण गूंजै है।
तण तणकर ऊभी हक सारू, भाषावां रै रण जूंझै है॥
जद जद भी आसा जागै है, सत्ता रा मत्ता फुर ज्यावै।
सरकारां उत्तर सुणतां ही, आ झेल उदासी झुर्रावै॥
इण राजस्थानी ओळख नै, संसद रै कान पुगाणी है।
मन मोहंती इण मायड़ रै, क्यूं होवण लागी हाणी है॥
है बखत आज रो हुंकारी, निस्ठा सूं साथ निभाणो है।
डग डग डिगतोड़ी भाषा नै, दट कर इधकार दिराणो है॥
कहतां ही बसती काळजियै, सगळी भाषा री नासा है।
खट सत्तर बोल्यां खळखाती, भल राजस्थानी भाषा है॥
(अर् ) जीव लगा कर जोय सको, इधका मोड़ी रा आखर है।
सीवन संजोवण साहित री, पोथ्यां इणमें ही पाखर है॥
इणमें ही बिरद बिहाणा है, इणमें ही जल्ला गीत जचै।
इणमें ही सीखां सीखड़ली, इणमें ही घुड़ला रीत रचै॥
कांकर भी चेतो करलो रै, रजवट रो मान रखाणो है।
रग रग रमतोड़ी भाषा नै, दट कर इधकार दिराणो है॥
अखबार छपै ना इणमें है, न छपता देख्या पत्तर है।
अज तांई करतां आया है, बातां वै तत्तर बत्तर है॥
(आ ) ऊंचै औदे री अणनीती, खोसै मूंडै री रोटी है।
रज रज री रूंहा रंजियोड़ी, इतरी भी कोनी छोटी है॥
हिंदी सूं राखां हेत घणो, पण मायड़ म्हानै पाळै है।
जद भी संशोधन जोड़ै है, तद क्यूं आपानैं टाळै है॥
हिरदै सूं साहस मत हारो, बढ चढकर संघ बणाणो है।
अपणायत री इण भाषा नै, दट कर इधकार दिराणो है॥