जद सूं होयौ है,
दंगौ
आदमी होयग्यो है
भीतर तक नागौ
उघड़ग्या है उणरा
सगळा पौत
चवड़ै आयगी है उण री
काळी करतूतां
आज-
हर कोई
हर अेक माथै
कड़ी मींट राखै
अेक दूजै नै
सक री निजर सूं ताकै
(मारग चालतौ
दस वळा लारै झांकै)
‘ओ’ अर ‘वो’
बिना किणी बात
बिना किणी रगड़ै-झगड़ै
बिना कोई झोड़-झपाट
अेक-दूजै नै देखियां पछै ई
अेक-दूजै सूं
बच नै जावै।
‘ओ’—
अेक सक री निजर
‘वो’ माथै
न्हाकै
अर सोचे—
उण रौ हाथ जेब में क्यूं है?
जेब में कठै ई
चाकू तो लुकायोड़ौ नीं है?
के कठै ई कोई
दूजौ हथियार तो नहीं है उण कनै?
अर बठी
औ ई हाल ‘वो’ रौ है
‘वो’ सोचे—
‘ओ’ सूं सावचेत
रैवण में ई भलाई है
‘ओ’ रै हाथ में जकौ थैलो है
उण में कोई विस्फोटक
कोई बम
के पछै—
तेजाब री बोतल ई होवै
के भरोसो!
मां घर में
तपियोड़ै तवै माथै
सेंके है रोटियां
पण मन में
बिखरै है गोटियां
धधकै है लाय
फड़कै है जीव
सुळगै है चिता
चिंता खावै है काळजौ
मांय री मांय
—के हाय
नैनकियौ स्कूल जाबां तांई
घरां सूं
सुबै निकळियौ हौ
(अजै आयौ कोनी)
मारग में
उण रै कठै ई किणी
चाकू तो नीं घोंप दियौ?
के भगदड़ में कठै ई वो
किचरीज तो नीं गयौ?
किणी दिस सूं कोई—
गोळी तो नीं आ लागी उण रै?
कुण जाणै?
दफ्तर में जी-सा
उलट रैया है फाइलां
पलट रैया है पानां
घसीट रैया है कलम
पण मांय
उण रैया है हपळका
फूल रैयौ है दम
के—म्हैं अठै बैठो हूं
लारै नीं जाणै कांईं होयौ होसी?
हो सकै
घर में कोई घुसग्यौ होवै!
छोरै री मां नै
अेकली देख’र
दबोच ली होवै!
मिणियौ ई मौस दियौ होवै!
बाळ ई दी होवै केरोसिन छिड़क नै
के उण नै बांध नै
पूरा घर नै ई लांपौ लगाय दियौ होवै!
लारै कांई ठा कांईं होयौ होसी?
म्हैं अठै बैठौ हूं,
दुकानदार री चिंता
के गिराक,
भळै कितरा दिनां
नीं आवैला?
के पछै किणी दिन
पूरी दूकान
लूट ले जावैला!
ठेलै वाळै नै
किणी बगत
ठेलौ उलट देवण रौ
डर
बजार में आवण वाळै
हर किणी नै
कठीनै सूं ई
पथराव रौ खतरौ
चौफेर अेक
अणहोणी, अणचीती नै औपरी
चिंता
अेक अणजाणौ डर
घरै के बारै
कठै ई कोई
निरभै कोनी।
घर-गवाड़ी में
अळी-गळी में
बजार चौवटै के हथाई बीचाळै
अेक ई बात है
चैरां माथै मुळक है
(भीतर घात है)
मिनख ऊपर सूं मिनख रौ विस्वास
उठग्यौ।
अफवावां रौ बजार गरम है
चिड़ियां नीं
लोग हाथ उड़ा रैया है
अफवावां औढ रैया है
अफवावां बिछा रैया है
(बारै जीवता लागै,
पण भीतर
मरता जा रैया है।)