हेलो पाड़ रै
भोळा! मूळा! सुण गोपाल, फिर-फिर हेलो पाड़ रे,
घर-घर हेलो पाड़ रे, मेघा राग उगार रे।
इंदर आज पखार
इंदर आज पखार म्हारा बीरा
फिर-फिर हेलो पाड़ रे।
आभौ उमस कसीजै रे
बादळ उमड़ पसीजै रे
थूं खुरपी-कसी संभाळ, ढांढा-ढोर पुकार रे
भाज्यो खेतां चाल रे, घर-घर हेलो पाड़ रे।
बूझा आज ऊपाड़
बूझा आज ऊपाड़ म्हारा बीरा
फिर-फिर हेलो पाड़ रे।
छांट्यां छिर-मिर नाचै रे
हिरण्या-मोर कुलाचै रै
थूं भर-भर बीज उछाळ, बैलां नै टिचकार रे
मेड़्यां खड़्यो रूखाळ रे, घर-घर हेलो पाड़ रे।
रोटी-राब मठार
रोटी-राब मठारा म्हारा बीरा
फिर-फिर हेलो पाड़ रे।
पायल छम-छम बाजै रे
खड़ी गोरड़्यां लाजै रे
कर हे हो री हुंकार, ले लारै परवार रे
कोछा ऊंचा टाण रे, घर-घर हेलो पाड़ रे।
पाकी फसल्यां झाड़
पाकी फसल्यां झाड़ म्हारा बीरा
फिर-फिर हेलो पाड़ रे
इन्दर आज पखार रे
बूझा आज उपाड़ रे
रोटी-राब मठार रे
पाकी फसल्यां झाड़ रे
घर-घर हेलो पाड़ रे, मेघा राग उगार रे।