म्हारी छाती ठार चिड़कली

ना खावै तू खार चिड़कली

जग में है डाक्यां रो डेरो

मच री हाहाकार चिड़कली!

ना कर तू टकराव चिड़कली

तू है भोळी साव चिड़कली

बैठ कनै, मिल बैठ सुणावां

काळजियै रा घाव चिड़कली!

हाथ मेरो लै झाल चिड़कली

म्हारै सागै चाल चिड़कली

जुलमी पूग्या कूखां ताईं

डाको लिन्यो घाल चिड़कली!

काळी पीळी रात चिड़कली

हाथां खावै हाथ चिड़कली

बै’न सुवासणी बीती बातां

घर में चालै घात चिड़कली!

खाफण लै तूं ओढ चिड़कली

हाथ म्हारो दै छोड चिड़कली

चढ चंडी बण डाकी छाती

जुलमी रो रंग भोड चिड़कली!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : कान्हा शर्मा
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