अेक अणूंती अबखाई
म्हारै ओळै-दोळै
म्है म्हारै विचारां सूं
जींवतो रैवणो चावूं
नीं की लागलपेट तो
नीं कीं वगत री उडीक
अेक छेहलो छिण
कदै म्हारै सूं अबोलो बणै
तो कदे अंधारै रै मांय
मून साध्यां डूंगर सो लखावै
कठै उजास
कठै अंधारो
लखावै कै आसमान
पीवतौ हुवै
रात रै अंधारै नैं
म्हारै परवाण नीं म्हारो
कोई है
जको आपरै खोळै नैं
धीमै धीमै सांवटतो रैवै
म्है अवस
म्हारी गत नैं
अेक ठौड़ थामणै री
कोसिस करूं
आ कोसिस करतां थकां
सुख रा सगळा पौर
छींया सूत्या सपना म्हनै
जगावता रैवै
कदास
म्हारा सबद पाछा नीं आवै
म्है
म्हारै छिण में टिक्योड़ो हूं
लारला केई बरसां सूं।