दिन घोळै
झांवळा
रात नै रातींदो
आंख्यां होतां सोतां पाण
पाड़ोसी री पराई आंख्यां स्यूं
देखणरी मजबूरी।
जीवती माखी गिट्टण रा आदेस।
मिनखरो ओ डरावणो रूप
सिर पर ऊगता सींग
लप-लपाती
दोलड़ी जीभ
बद्योड़ा नूं
बळ-बळती राती-राती आंख्यां।
देखो, धायोड़ै घाड़वी रै
हाथां में
भूख मिटावण खातर
तिस बुझावण खातर
थारै खेत रो है
या म्हारै खेत रो
ई बैलड़ी रो है
या बीं बैलड़ी रो
ईं रै मैलै कुचैलै हाथां में
गोळ-मटोळ सो
मतीरो है
या मिनख रो माथो।
सुण-ठीलै री ठरकाण
मुक्की ठोला
लागतां लागतां पाण
प्राण त्याग
आपरो आपो बिसराय
पुरसीज सो
धायोड़ै रै बाजोट पर
बीज बिखरता फिरसी
धरती माथै
बंस रै बचाव खातर।
गिरी अर पाणी
भूखै री भूख
तिसै री तिस
मिटावता हो आया है
खुरड़ो अर खाओ
घुरड़ो तीखै तीखै नूंवां ऊं
बटका भरो
लाम्बे मोटे दांतां ऊं
गिरी पींचता जाओ
आप-आपरी काया
सींचता जाओ सींचता जाओ
पोवो जीवो अर मटका करो
खुपरी हो या खोपरो
पाणी पियां पाछै
गिरी गटकायां पाछै
खावणियो फेंकसी
रुळती फिरसी रेत में
अण बायोड़ै खेत में
झाड़खां में बांठका में
सिपळिया खासो
रात रा रोजड़ा
खेतरा खेत उजड़ता देख'र
बेलां री बेलां
बांझड़ी होणरो डर
इण खातर मानखा चेत
चेत-आपरै खेत खातर
चेत-आपरी बेल खातर
चेत आपरै फल खातर।