'के काम करै अे कलड़ी?'

'काम स्याणो क्यां रो,

काम करूं, जणीतां नै रोऊं।'

'के बात होयगी, इयां-कियां बोलै?'

'के बोलूं मीरकी री मा,

मरज्याणां राध घाल राखी है काळजै में

डैणती नै मनाऊं तो डैण री तोरी चढ़ज्या

अर डैण रै माथै री सळ मिटै

तो डैणती रा बोल तीर-सा त्यार

अर ऊपर सूं झड़ में टापरो

जबाब देवण वाळो और होर्‌यो है

टाबरी दबसी लागै।'

अचाणचक आंख्यां सूं दो टोपां बारै नाड़ काढ़ी

अर पलकां रै किवाड़ां में आय'र दो-टूक होयग्या।

'म्हारै बै तो बेरो कोनी क्यूकर रा है

बांनै कहद्‌यो भाऊं भींत नै

परस्यूं पीसणो कर्‌यो

कूळै कनै पड़्यै थेलै रै दीमक लागगी।

पण बै तो कानां कोनी ढाळै

बारै मुंह काढ्यां पछै बावड़ण रो नाम कोनी ल्यै।

काल तो प्याण घाल्या भैंस

भैंसां चढगी खेड़ां

अर बै!

बै बावळी चौपड़ वाळां कनै खड़्या राफ तिड़कावै हा

मेरै जीव में तो इसी आई जाणै

गिट्टां पर डंडियै री दे काढूं

पण माणसां री सरम करगी।'

'ना अे बाई, आदमी तो क्यांरा है

लारलै भो रा कोई बदळा चुकावां

घरां बड़्यां पछै माचली कोनी छोडै

नहीं तो लोगां रै कामां सूं फुरसत कोनी।'

–अर अेक लांबो सिसकारो

'खिनाणियै सूं खोली ल्याया बाई!

रळाव कोनी

तीसरी टेम लात मारगी

म्हारै तो करमां में कोई कांकरो है

पैली पाळी-पाळी पोसी बैडकी

फेर भुआ कनली भूरती

अर अब

तीन बारी फुरगी

टाबरां रो धोळी धार में सीर कोनी

नींस तो लोगां रै देखां

बकरी बाल्टी भरै

पण करमां कारी कोनी अे बेली,

पारकै खेतां गंठड़ ढो ढो'र पाळेड़ी

लगोलग तीन बारी फुरगी

बेरो कोनी कुण रांड बळी

ठाण में लाद्‌यो

मोडियै रो बाळ-फूंको कर्‌यो

पण डोरां सूं किसी खोम बचै ही

चालूं अे बाई, छियां ढळगी।'

स्रोत
  • पोथी : चालूं अे बाई छियां ढळगी ,
  • सिरजक : विनोद स्वामी ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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