अेक

चंदो
मेड़ी ऊपराकै
उचक’र ताळ में
गोख्यो
पण बैरी हा धोळा धोरा
आय बिचाळै
चानणी-चूनड़ी
खोस लीनी
ओढ’र पसरग्या।

दो

चंदो
जाणै बोरलो
रजनी बांध
बींदणी बणगी
टणमण टणमण
करता तारा
मोत्यां सिरखा
दुळ्या ओढणी
ओढी सोवण
नार निराळी।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : चैन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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