थूं पिछाण म्हनै

टूटोड़ी भींत!

थूं बता

म्हैं कुण हूं, म्हारा पुरखा कुण हा!

म्हारी न्यात-जात कांई?

म्हारी औकात कांई?

आगै जवाब देणौ है म्हनै

के' म्हैं मिनख हूं... तौ

किण जात रौ, किण खांप रौ?

टूटोड़ी भींत!

थूं तौ जुग देखिया,

जुग रा हवाला देखिया,

जुग रा खेल निराळा देखिया

म्हैं साजौ-साबतौ मिनख

पण जात बिना अबखौ-अधूरौ

थूं हवेली री भींत

थूं बता,

किण धरम-किण जात रा मैमांन

थूं नीं अंगेजिया!

किण नै गुड़-पाणी नीं पायौ,

किण रा हुक्का-चिलम नीं भरिया

जदकै थारौ जमानौ

न्यात-जात रौ, पूछताछ रौ

सांवठी पूछताछ रौ

आज, क्यूं खिंडीजगा

थारा भाटा,

लेवड़ा बिखरगा

जमानौ थनै भी पूछै कांई

के' थूं किण जात री?

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : चंद्रशेखर अरोड़ा ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : पहला संस्करण
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