(अेक)
मां,
थांरी गोदी मांय
होवै निरभै
म्हारो मन।
होय जावूं
मुगत
सैंग अबखायां सूं
आय'र
थांरी गोदी मांय।
मां
थांरै आंचळ री
ओट मांय
हांचळ रो
इमरत पीय'र
म्हारी काया
होवै तिरपत।
मां,
थूं करै
म्हारै माथै
सातूं सुखां री
निछरावळ।
म्हारो सुरग
थांरी गोदी मांय है
मां।
(दो)
फुर्र-फुर्र करती
अेक चिडकली
म्हारी साळ
मांय आयी।
घणै जतन सूं
चूंच मांयनै
दाब तिणकला
लायी।
ओळांतर सी
रख्या तिणकला
आळो अेक बणायो।
बणियो आळो
चिडी बणी मां
अण्डा लायी तीन
केई दिनां
सेया अण्डा नै
आंख न लिनी नींद।
फूट्या अण्डा
बचिया निकळ्या
जद चिड़ी
हरखाई
चीं-चीं करता
बचियां नै
ल्या-ल्या
चूण चुगाई।
निकळी पांख्यां
बचियां रै तद
उडणो चिड़ी
सिखाई
साळ सुं
बारै री
दुनियां री
ऊंच-नीच
समझाई
कर हुंसियार
उडाया बां नै
ऊंचा आभै मांयी।
फुदक-फुदक'र
फुर्र-फुर्र करता
रूंखां माथै
जीवण गीत सुणायी।