पांचूं आंगळियां नै

पुणचौ भारी पड़ै

अकास री सींव वठै तांईज व्है

जित्तौ पंछी उड़ै

दीठ नै दाय आवै वौ अपरब रूप

आंख्यां री सराह सूं मिलै

सबदां नै सांचौ बखांण

अेकर औरूं दोरावणी चावूं म्हैं

कै असमांन नै सदां

अरथ देवै।

पंखेरू री उडांण!

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर
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