सुणनौ ई चावै तौ सुण
काल-थारै काळ हौ
आज-म्हारै काळ है
होणी होयां सरै।
सागै सागै हा-
आगै लारै होग्यां हां,
प्रजातंत्र है:
न जंतर है, न मंतर
पण आदमी अर नेता में
घणौ अंतर है।
आदमी तौ नेता बण जावै,
पण नेता आदमी बणै
नहीं बणै,
लुगायां-पूत जाणै,
पण ऐड़ा जणै, नहीं जणै।
पात पळै-मूळ बळै
ठौड़ ठौड़ कळै ही कळै।
दिन ऊगतौ दीसै-बैगो ढळै
सांम्ही अमावस री रात-
च्यारूंमेर घात ही घात
किण नै धीजै – किण नै पतीजै
धीमी आंच पर
खीचड़ी ज्यूं खदबदीजै
दिन-रात
घेटियै-सी सूधी
आ भौळी जनता
चमगूंगी होय
रोजीना तळीज रही है-
दळीज रही है,
फेरूं ही आं सरीखा चोरां नै
धाप अर धीज रही है,
सैमूदी री सैमूदी
अणचींतै
कादै में कळीज रही है।